केरल की सरकार के अजा-जजा/पिछड़ा वर्ग समाज कल्याण मंत्री एके बालन ने जून में घोषणा की थी कि धर्म परिवर्तन करने (यानी ईसाई बन जाने वालों) के ॠण माफ़ कर दिये जायेंगे। इस सरकारी योजना के तहत जिन लोगों ने 25,000 रुपये तक का ॠण लिया है, और उन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया है तो उनके ॠण माफ़ कर दिये जायेंगे। इस तरह से केरल सरकार पर सिर्फ़(?) 159 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा (यह कीमत वामपंथी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों के सामने कुछ भी नहीं है)।
संदेश स्पष्ट और साफ़ है कि "धर्म परिवर्तन करके ईसाई बन जाओ और मौज करो…, अपने धर्म से गद्दारी करने का जो ईनाम वामपंथी सरकार तुम्हें दे रही है, उसका शुक्रिया मनाओ…"।
http://beta.thehindu.com/news/states/kerala/article451983.ece
अब तक तो आप समझ ही गये होंगे कि "असली धर्मनिरपेक्षता" किसे कहते हैं? तो भविष्य में जब भी कोई "वामपंथी दोमुँहा" आपके सामने बड़े-बड़े सिद्धान्तों का उपदेश देता दिखाई दे, तब उसके फ़टे हुए मुँह पर यह लिंक मारिये। ठीक उसी तरह, जिस तरह नरेन्द्र मोदी ने "मौत का सौदागर" वाले बयान को सोनिया के मुँह पर गैस काण्ड के हत्यारों को बचाने और सिखों के नरसंहार के मामले को लेकर मारा है।
रही मीडिया की बात, तो आप लोग "भाण्ड-मिरासियों" से यह उम्मीद न करें कि वे "धर्मनिरपेक्षता" के इस नंगे खेल को उजागर करेंगे… ये हमें ही करना पड़ेगा, क्योंकि अब भाजपा भी बेशर्मी से इसी राह पर चल पड़ी है…। नरेन्द्र मोदी नाम का "मर्द" ही भाजपाईयों में कोई "संचार" फ़ूंके तो फ़ूंके, वरना इस देश को कांग्रेसी और वामपंथी मिलकर "धीमी मौत की नींद" सुलाकर ही मानेंगे…
बुद्धिजीवी(?) इसे धर्मनिरपेक्षता कहते हैं, मैं इसे "शर्मनिरपेक्षता" कहता हूं… और इसके जिम्मेदार भी हम हिन्दू ही हैं, जो कि "सहनशीलता, उदारता, सर्वधर्म समभाव…" जैसे नपुंसक बनाने वाले इंजेक्शन लेकर पैदा होते हैं।